हर कोई चाहत बेशुमार करता है पर क्या पता किसके हिस्से कितनी मोहब्बत है ये किसी को न खबर है बहुत ही प्यारी गज़ल है आपकी
4 yearsहर कोई चाहत बेशुमार करता है पर क्या पता किसके हिस्से कितनी मोहब्बत है ये किसी को न खबर है बहुत ही प्यारी गज़ल है आपकी
तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ...
Wow superb
5 yearsWow superb
Thanks, Raj!
To enjoy the written-version, you may please like to check out: https://storymirror.com/read/poem/hindi/uydp7c6u/khhbr
5 yearsTo enjoy the written-version, you may please like to check out: https://storymirror.com/read/poem/hindi/uydp7c6u/khhbr
मोहनजीत कुकरेजा (Emkay)
धन्यवाद